प्रस्तावना
आज में आपको martial arts शब्द का अर्थ बताने का प्रयत्न करूँगा. martial arts शब्द का अर्थ बहुत ही गाहेरा होता है. इसे सिर्फ एक-दो लेख में बर्णन नहीं किया जा सकता. लेकिन कोशिश करूँगा की इस लेख में जितना हो सके martial arts शब्द के अर्थ के बारे में बताऊँ. चलिए लेख की प्रमुख बाते शुरू करते है.
| martial arts शब्द का अर्थ क्या है |
विषय सूची:
- Martial arts शब्द का अर्थ क्या है?
- Martial arts के अन्य नाम
- martial arts और आध्यात्मिक
- अंतिम पर्व
Martial arts शब्द का अर्थ क्या है?
martial arts शब्द भले ही बहुत ज्यादा पुराना न हो लेकिन इसका जो अर्थ है वह अति प्राचीन है. साधारण शब्दों में कहे तो martial arts सामरिक कला है यानि वह कला जो आपको युद्ध या लड़ाई करने के तरीके सिखाये. यह एक योरोपियन शब्द है. इसमें जो martial शब्द है वह लैटिन शब्द “मार्स” से लिया गया है जो एक रोमन युद्ध के देवता है और कला का अर्थ एक तरीके के से कहे तो सुन्दरता के साथ साथ महारत या कुशलता हासिल करना होता है. इसलिए वह सभी कला या sports को आप martial arts कह सकते है जो आपको लड़ाई के तरीके सिखाये. एक अलग तरीके से अगर देखा जाएँ तो, हमारे मंगल ग्रह को भी अग्रेजी में “मार्स” कहते है जो एक ही Latin शब्द से आया हुआ है, ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को शक्ति और साहस का प्रतिक माना गया है और यह प्रधातः military के कामों को दर्शाता है. इसी मंगल ग्रह के स्वामी भगवन कार्तिकेय है, जो युद्ध के देवता है. अब कार्तिकेय कला या मांगलिक कला या मांगलिक शैली तो सुनने में अच्छा नहीं लगेगा इसलिए martial arts शब्द सुनते सुनते अच्छा लगने लग गया.
कई लोगों का तर्क रहता है की कुछ martial arts सिर्फ sports है उसे कला की श्रेणी में नहीं डाला जा सकता. सबका अपना अपना नजरिया रहता है, अपना अपना तर्क रहता है. मेरे अनुसार जिस तरह dance एक शब्द जिसमे dance के कई form जुड़े रहते है जैसे classical dance, modern dance, इत्यादी; उसी तरह martial arts भी एक शब्द है जिसमे कई fighting system जुड़े हुए है जैसे kalaripayattu, thang-ta, मुस्ती प्रहार, Silambam, कुस्ती, Kung-Fu, Muay Thai, Karateka, taekwondo, Judo इत्यादी. इन सभी को martial arts कह सकते है. क्यूंकि यह सभी एक system है जो आपको लड़ाई के तरीके सिखाता है. इन तरीको में मुख्यतः खुद को बचाना और जरुरत पड़ने पर मरना रहता है; साथ में रहता है क्षमता, आत्मविश्वास, अनुशासन, द्रिहता, सन्मान इत्यादी. यह अलग बात है की समय के साथ साथ कुछ martial arts या fighting system ने अपने आपको जरुरत के अनुसार बदला है और भविष्य में भी जरुरत के अनुसार बदलता रहेगा. क्यूंकि जो समय के साथ सही दिशा में अपने आपको बदलता है वही समय के साथ चल पता है वरना अतीत की गहरायी में खो जाता है.
Martial arts के अन्य नाम
martial arts शब्द को आप martial arts न कह कर fighting system या fighting arts या फिर combative sports या combative arts भी कह सकते है या फिर हिंदी में लड़ाई की शैली भी कह सकते है. जिस तरह kalarippayattu का अर्थ जहा तक मुझे मालूम है लड़ाई या युद्ध का मैदान होता है. यानि वह मैदान जहा पर युद्ध या लड़ाई के तरीको का अभ्यास किया जाता हो. उसी तरह martial arts का अर्थ भी वह कला होता है जिसमे लड़ाई के तरीके सिखाया जाता है. इसलिए इसमें कुछ लोगो का तर्क रहता है की इसे martial arts न कह कर fighting arts या combative sports कहना सही होगा. जहा तक मुझे मालूम है martial arts शब्द तो १५ या १६ शताब्दी में आया हुआ शब्द है, लेकिन लड़ाई की शैली तो शदियों पुराना है. भारत में जैसे kalarippayattu, thang-ta, कुस्ती, चीन में shaolin kung-fu, Thailand में muay-thai इत्यादि का इतिहास बहुत ही पुराना है और यह सब लड़ाई के शैली या कला या fighting system या arts है जिसे वर्तमान martial arts के अंग के रूप से जाना जाता है. वर्तमान अंग्रेजी एक globalize language बन चूका है, इसलिए martial arts या fighting system कहने से लोग समझ जाते है.
कुछ लोगो का अपना अपना तर्क रहता है की यह martial arts नहीं है यह martial arts है, यह सिर्फ एक कला है, इसमें यह कमी वह कमी है, यह practical नहीं है यह practical है, जिसको जो कहना है कहने दीजिये. मैं भी आपके सामने अपना तर्क ही रख रहा हूँ. क्यूँ की मैं भी बचपन से kung-fu करता आ रहा हूँ. लेकिन किसी तर्क को लेना या न लेना या किसी तर्क को समझना यह आपके ऊपर है. मेरे तर्क के अनुसार साधारण तरीके से देखे तो martial arts का सीधा अर्थ यही है की जो कला आपको शारीरिक और मानसिक रूप से एक systematic way में लड़ाई करना सिखाये साथ में आपके लड़ाई की शेलो को एक सुन्दरता प्रदान करे वही martial arts है. अगर शैली में सुन्दरता न हो तो तर्क के माध्यम से उसे arts न कह कर सिर्फ fighting system कह सकते है. कला होने के लिए उसमे सुन्दरता और systemic way होना जरुरी है, मेरे अनुसार. हा वह अलग बात है की हर martial arts में कुछ कमियां होता है, उन कमिओं को दूर करना शिक्षक या गुरु का कर्त्यव्य है. ताकि शिष्य को सही राह मिल सके, भविष्य में अपने आपको विभिन्न परिस्तिती से बचा सके. इसके लिए अगर शिक्षक या गुरु को अपने martial arts में कुछ परिवर्तन करना पड़े तो कर लेना चाहिए, अगर अपने martial arts को एक नया रूप देना पड़े तो दे देना चाहिए. उस नए रूप को नाम देना या न देना उसका खुद फेसला है. जैसे kung fu, karate, judo के कई शेली आपको मिल जायेंगे. नाम से ज्यादा जरुरी है उसका काम में आना. अगर काम में आ गया तो नाम तो लोग खुद बा खुद दे देंगे.
martial arts और आध्यात्मिक
भारत और साथ में एशियाई देशों में ज्यादातर चीजे आध्यात्मिक के साथ जुड़ा रहता है. इसलिए भारत के और एशियाई देशों के लड़ाई की शेली भी आध्यात्मिक के साथ जुड़ा हुआ है. इस कारण इसका अर्थ सिर्फ लड़ाई तक सिमित न रहकर और ज्यादा व्यापक बन जाता है. जिसका एक अर्थ आत्मदर्शन भी होता है. कोई भी चीज जब आध्यात्मिक के साथ जुड़ जाये तब उसमे पवित्रता आने लगता है, श्रधा आने लगता है, फलस्वरूप उसका आकर सुन्दर होने लगता है. इसलिए देखे होंगे की भारत में हर एक चीज या कला एक systematic form में बना हुआ है और शात्रों में भी सभी कला के बारे में लिखा हुआ है. kung-fu या shaolin fighting system का जन्म दाता भी भारत के बुद्धि धर्मं नमक एक भिक्षु ही थे, जो भारतीय विभिन्न लड़ाई के शेली के ज्ञाता थे. सिर्फ kung-fu ही नहीं asia के ज्यादातर देशों में भारत के लड़ाई के शैली का प्रभाव बहुत ही ज्यादा था. एसे तो हर देश का अपना अपना लड़ाई का कुछ न कुछ शैली हुआ करता था लेकिन मेरे अनुसार भारत के जैसे systematic form और उन्नत तरीके से नहीं था. इसलिए उस समय भारत के martial arts का प्रभाव बाकि देशों में तीब्र गति से फेलने लगा. समय के साथ साथ सभी देशों के लड़ाएं की शैली ने अपना अलग अलग रूप लिया है. वर्तमान एक नए रूप में है और भविष्य में भी हो सकता है एक अलग रूप में हो. क्यूंकि समय के साथ साथ लोग updated होते जाते है, नयी चीजे या तकनीके पुराणी होने लगती है, तकनीको में बदलाव की जरुरत पड़ती जाती है, लड़ाई के दाओ-पेज बदलते है और उस के अनुसार लड़ाई की शेली में भी बदलाव की जरुरत पड़ जाती है. कुछ बदलाव सही दिशा में होता है और कुछ गलत दिशा में. सही दिशा में जो होता है वह समय के साथ चलता रहता है और गलत दिशा में जो होता है वह अतीत बन जाता है. विभिन्न fighting शैली ने समय के विभिन्न चुनौतियो को देखा है, उसे झेला है और एक नया रूप लिया है और भविष्य में भी लेगा. विशेषकर एशियाई देशों के fighting शेली हमेशा समय के प्रवाह के साथ बहता रहेगा क्यूंकि यह आध्यात्मिक के साथ जुड़ा हुआ है. इसका उद्देश्य सिर्फ लड़ाई न होकर आत्मदर्शन भी है. हमारा शारीर एक सीमा तक ही मेहनत कर सकता है लेकिन मन का सीमा बहुत गहरा होता है. शारीर बुढा होता जाता है लेकिन मन को सक्रीय रखा जा सकता है. मन जब तक सक्रीय है हम जीवित है, जिस दिन मन निष्क्रिय हो जायेगा हम भी निष्क्रिय हो जायेंगे. भारतीय और साथ में एशियाई लड़ाई की कला हमें मन से सक्रीय होना सिखाता है. शारीर निष्क्रिय होने पर भी मन को सक्रीय रखना सिखाता है. यह हमें सिर्फ शारीर से लड़ना नहीं सिखाता बल्कि मन से भी लड़ना सीखता है. हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाता है. लड़ाई की शैली का अभ्यास से शारीर शुद्ध होता है और मन पवित्र होता है. और अगर लड़ाई की शेली की अभ्यास से शारीर शुद्ध हो लेकिन मन पवित्र न हो और अहंकार आ जाये तो समझ जाये की एक समय बाद उसका कला उससे छुट जायेगा. शारीर से वह एक समय तक ही राजा के सिंहासन पर बैठ सकेगा लेकिन मन की पवित्रता से वह उस कला में समाहित हो जायेगा. वह हमेशा के लिए समाज की दृष्टी में एक श्रेष्ठ लड़ाकू नहीं बल्कि एक श्रेष्ठ व्यक्ति बन पायेगा. और एक श्रेष्ठ व्यक्ति बनाना ही मेरे अनुसार सभी कला का मुख्या उद्देश्य में से एक होता है.
अंतिम पर्व
martial arts या fighting system या लड़ाई के शैली या आत्मा चिंतन की शेली या आत्मा शुद्धि करन की शेली का व्याख्या और भी गहरा है. जितना आप इसके साथ जुड़ते जायेंगे यह और भी गहरा होता जायेगा. जितना गहरा होता जायेगा आप उतने ही martial arts को समझ पाएंगे. मेने शुरुवात में ही कहा था की ज्ञान का कोई अंत नहीं. यह वह गहरा सागर है जिसमे हम गहराई तक जा तो सकते है लेकिन उसके अंत को खोज नहीं सकते.
martial arts की व्याख्या के साथ साथ और एक बात कहना चाहूँगा की भले ही martial arts आध्यात्मिक के साथ जुड़ा हुआ है लेकिन इसका मतलब यह नहीं की आप सिर्फ आध्यात्मिक बन गए और लड़ाई की शैली ही भूल गए. लड़ाई की शैली में प्रमुख है लड़ाई. यह लड़ाई बचना और जरुरत पड़ने पर मरना सिखाता है और इसी बचने और मरने की शैली में ही बहुत कुछ समाहित है, जिसे खोजना हमारा कर्तव्य है. सभी लड़ाई की शैलीओं को समय के अनुसार बदलाव की जरुरत पड़ती जाती है. इसलिए आप कोई भी लड़ाई की शैली क्यों न सिख ले, उसमे समय के अनुसार बदलाव लायेगा. लड़ाई की शैली कोई मूर्ति नहीं है की जो एक ही आकार में रहेगा यह. जो जो इस धरा को समझ गया वह उस धरा में बहता जायेगा वरना उसी धरा में डूब जायेगा.
आज मैंने आपको martial arts का अर्थ बताने का पर्यंत किया. इस अर्थ को अपने अपने तर्क के अनुसार और ज्यादा गहरा या साधारण बनाया जा सकता है. इस लड़ाई की शैलीओं को आप martial arts कहे, या fighting system कहे, या combative sports कहे, या फिर आप जो लड़ाई की शैली सिख रहे है, बच उही नाम कहे यह आपके ऊपर है. वर्तमान martial arts शब्द globalize बन चूका है. ज्यादातर देशों के लोगों ने इस शब्द को ग्रहण किया है. मेरे अनुसार इस शब्द से ज्यादा जरुरी है जो martial arts हम सिख रहे है, सिखा रहे है उसे और ज्यादा बेहतर बनाये, उस martial के नाम को और अच्छा पहचान दे, हम एक अच्छे इंसान बने, अपने शिष्य को अच्छे इंसान बनाये, और साथ में अच्छे लड़ाकू भी बनाये.
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