कहानी | मनन | एक साधारण आदमी जो बन गया असाधारण

कहानी | मनन | एक साधारण आदमी जो बन गया असाधारण 

रात काफी हो चुकी थी। मनन ध्यान कर रहा था। वह मन के बहुत गहराई में चला गया था। चारों तरफ सन्नता था। अच्छानक उसे एक आवाज सुनाई दि। उसने तुरंत अपना आखें खोला। वह अब एक दुसरे कमरे में था। उसे समझ नहीं आया वह यहाँ कैसे आया। वह कमरे से बाहर निकला। थोड़ी देर बाद वह समझ गया वह एक बिल्डिंग में है। जहाँ सब लोग बहुत जल्दी जल्दी अपना अपना काम कर रहे थे, यहाँ से वहां दौड़ रहे थे। मनन ने वहां के लोगों से पूछा भी की यह कौन सी जगह है। लेकिन किसी ने भी कोई जवाब नहीं दिया। मनन उसी फ्लौर में घूम ही रहा था। वहां के लोग किसी से भी कुछ बात नहीं कर रहे थे। सभी machine की तरह सिर्फ अपना काम कर रहे थे। मनन उस फ्लौर के हर कमरे में गया लेकिन किसी ने भी मनन के साथ बात नहीं किया। मनन बाहर जाना चाहता था लेकिन बाहर जाने के लिए कोई दरवाजा और खिड़की भी नहीं था। तब मनन ने दुसरे फ्लौर में जानने के बारें में सोचा लेकिन वहां कोई सीढ़ी नहीं था लेकिन एक लिफ्ट था। 


कहानी | मनन | एक साधारण आदमी जो बन गया असाधारण

कहानी | मनन | एक साधारण आदमी जो बन गया असाधारण 

वहां एक security guard था। मनन उस guard के पास गया और उससे वहां के बारें में पूछा लेकिन guard ने उसके किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया और उसके आखों को देखा और लिफ्ट का गेट खोलकर उसे उसमे जाने दिया। लिफ्ट काफी बड़ा था। लिफ्ट का दरवाजा खोलते ही वहां के ज्यादातर लोग लिफ्ट की तरफ भागने लगें। कुछ लोग लिफ्ट की तरफ आना तो चाहते थे लेकिन डर के मारे नहीं आ रहें थे और कुछ लोग बस अपना काम ही कर रहे थे। लोगों को आते देख guard ने उनलोगों के सामने बड़े बड़े दिवार खड़े कर दिए। यह देख मनन को अपने आखों पर विस्वास नहीं हुआ। वहां जो आगें आ रहे थे सभी लोगों के सामने एक एक दिवार आ गया। कुछ लोगों ने तो वह दिवार पार कर लिया लेकिन कुछ लोग उस दिवार में कुचले गए थे। दिवार पार करके कुछ लोग लिफ्ट के अन्दर आ गए। 

पांच लोगों को छोड़कर सभी लोग अपने आप में बहुत खुश थे। उनलोगों को देख मनन भी खुश होने लगा। लिफ्ट बंद हो गया। मनन ने उनलोगों से खुसी का कारण पूछा लेकिन किसी ने भी कोई जवाब नहीं दिया। मनन ने लिफ्ट को देखा लेकिन वहां कोई बटन नहीं था। लिफ्ट में Red लाइट जला और लिफ्ट बहुत ही तेजी से ऊपर की ओर जाने लगा। जैसे ही लिफ्ट ऊपर की तरफ गया मनन और 5 लोगों के अलावा वहां खड़े सभी ने अपने सर को पकड़ते हुए चीखने लगे। एसा लग रहा था मानो लिफ्ट की तेज गति वह लोग बर्दास्त नहीं कर पा रहे हो। धीरे धीरे वे लोग गायब होने लगे। यह देख मनन चोक गया। अंत में वहां सिर्फ मनन और बाकि 5 लोग रह गए थे। उन 5 में से दो महिला थी। वे 5 लोग बिलकुल चुप चाप स्थिर होकर खड़े थे। मानों वे लोग किसी जंग में जा रहे हो। मनन कुछ समझ नहीं पा रहा था। मनन ने सोचा शायद उसे किसी ने कोई नशीला चीज खिला दिया है। जिसके कारण उसे अजीब अजीब से चीज दिख रहे है। 

थोड़ी देर बाद लिफ्ट का दरवाजा खुला। अचानक वह पाँचों चोक्काना हो गए। उन्हें देख मनन भी चोक्काना हो गया। वे पाँचों धीरे धीरे लिफ्ट के बाहर निकलने लगे। मनन भी उनके पीछे पीछे लिफ्ट के बाहर निकला। मनन ने लिफ्ट के बाहर एक दुसरे guard को देखा। Guard ने मनन को देखा। Guard को पाँचों ने देखा। Guard ने फिर आगे देखा। मनन ने भी आगे देखा। अब वहां अचानक से लोग आ गए थे और वे लोग नीचे के लोगों की तरह काम कर रहे थे लेकिन थोड़ी धीमी गति से, थोड़ा धर्य रखते हुए।

मनन को अजीब सा लगा और वह guard के सामने जाकर पूछा, “हमें कोई drugs खिलाया है क्या?” Guard ने कहाँ “अपने काम में ध्यान दो।" मनन ने पूछा “कौन सा काम?” Guard चुप हो कर आगे देखने लगा। आगे तिन रास्ते थे। उन पाँचों में से दो दो करके अलग अलग रास्ते जाने लगे। अंत में उनमे से एक लड़की और मनन रह गए। लड़की आगे के रास्ते में जाकर रुक गयी और मनन को देखने लगी। यह देखकर मनन को बहुत अच्छा लगने लगा। मनन ने सोचा शायद वह लड़की मनन के लिए रुकी हुयी है। यह सोचकर मनन उस लड़की के साथ आगे के रास्ते से जाने लगा। वहां काम कर रहे लोग तिरसी नजर से मनन को देख रहे थे। मनन को लगा शायद वह लोग कुछ कहना चाहते है। मनन ने पूछा “यह कौन सी जगह है?” तभी लड़की ने मनन को जल्दी से अपने साथ चलने का इशारा किया। यह देख मनन लड़की के पीछे पीछे चलने लगा। लड़की बहुत चोकना होकर जा रही थी। 

दूसरी तरफ दो लोग एक कमरे में पहुँच गए थे। वहां थोड़ा अँधेरा था। अचानक उनलोगों के ऊपर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। लेकिन उन दोनों ने सभी को मार दिया। तभी उन दोनों को बाकि दो लोगों की आवाज सुनाई दी। वे लोग उन दोनों को ढूंढने के लिए भागने लगे।  

इधर वह लड़की कुछ ढूंढ रही थी। मनन यह देख उस लड़की से पूछा की वह क्या ढूंढ रही है? लड़की ने मनन को देखा। लेकिन कुछ सोचकर वह कुछ नहीं बोली और आगे बढ़ने लगी। तभी लड़की को वहीं दो लोगो की आवाज सुनाई दी और मनन को लेकर तेजी से दौड़ने लगी। मनन कुछ समझ नहीं पा रहा था। लेकिन उसने सोचा शायद यह लड़की उसे यहाँ से निकलने में मदद करना चाहती है। यह सोचकर मनन को बहुत अच्छा लगा। लेकिन जैसे ही मनन उन दोनों के सामने पहुंचा उसका दिमाग चकराने लगा। 

वे दोनों एक दात्याकर राक्षस के साथ लड़ रहे थे। मनन बहुत डर गया था। लेकिन मनन ने जैसे तैसे अपने आपको संभाल लिया और उस लड़की को डरने के लिए माना करने लगा। मनन कहने लगा “तुम डरों मत; मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा।" लेकिन वह लड़की मनन को side करके उस राक्षस से लड़ने चली गयी। यह देख मनन बहुत हैरान हुआ। वह लड़की तो उड़ उड़ कर उस राक्षस को मार रही थी। थोड़ी देर बाद मनन ने बाकि दो लोगों को देखा और यहाँ राक्षस के साथ लड़ने बुलाने लगा। वह लोग आकर राक्षस के साथ लड़ने लगे। राक्षस बहुत ताकतवर था। बाकि पांचों कमजोर पड़ने लगे। लेकिन मनन उनलोगों को हार न मानने के लिए कहने लगा। मनन उन पाँचों के अन्दर जोश भरने लगा। हिम्मत न हारने के लिए कहने लगा। तभी राक्षस का नजर मनन के ऊपर पड़ा। मनन का नजर राक्षस के ऊपर पड़ा। मनन भागने लगा। राक्षस मनन को मरने आगे बढ़ने लगा। 

मनन भागते भागते एक लाल दरवाजे के नजदीक पहुंचा। दरवाजा बंध था और रास्ता भी बंध था। तभी दरवाजे के सामने एक दूसरा guard प्रकट हुआ। मनन ने सोचा नीचे के guard ने मनन के आखों में देखकर दरवाजा खोल दिया था शायद यह भी मनन के आखों में देखकर दरवाजा खोल दे। इसलिए मनन guard के आँखों में देखने लगा। लेकिन guard ने कोई प्रतिक्रिया नहीं किया। गुस्से से मनन बोल उठा, “जल्दी दरवाजा खोलो।" Guard ने कहा, “password।" मनन ने कहाँ “क्या चीज का?" मनन समझ गया दरवाजा खोलने के लिए password चाहिए। लेकिन मनन अब password कहाँ से लायें? तभी वह राक्षस वहां आ गया। मनन के हाथ पाव कापने लगे। लेकिन तभी वे पाँचों भी राक्षस के ऊपर टूट पड़े। मनन दूर में खड़े होकर बाकि पाँचों को नसीहत देने लगा। सभी ने अंत में राक्षस को मार दिया। यह देख मनन राक्षस के पास आया और उसे गाली देते हुए लात मारने लगा। मनन के लात से वह राक्षस खड़ा हो गया। मनन पूरी तरीके से डर गाया। लेकिन वह राक्षस तुरंत ही राख में बदल गया। मनन ने चेन की साँस ली। तभी मनन का नजर राख में पड़ा। उस राख में लिखा था password। मनन समझ गया दरवाजे का password, password ही है। वह guard के सामने जाकर कहा “password।" Guard ने दरवाजा खोल दिया। मनन गुस्से से guard को देखते हुए अन्दर गया। मनन के साथ बाकि लोग भी अन्दर चले गए।  

अन्दर जाते ही मनन को पाँचों की आवाजे सुनाई देने लगा। मनन ने उनलोगों से पूछा “तुम लोग बोल सकते हो?” एक आदमी ने कहा “हमें क्या गूंगा समझ के रखे हो।" मनन ने गुस्से से कहाँ “अगर बोल सकते हो तो पहले क्यूँ चुप थे?" तब एक लड़की ने कहा  “हम चुप नहीं थे। बस तुम हमें सुन नहीं पा रहे थे।" मनन को समझ नहीं आया। मन के साथ गए हुए लड़की ने कहा, “वह राक्षस इस कमरे का रखवाला था। वह हमें इस कमरे में आने के लिए रोकना छाहता था।" मनन ने पूछा “लेकिन क्यूँ?” दुसरे आदमी ने जवाब दिया “ताकि तुम हमारी मदद से अपनी मंजिल तक न पहुँच सकों।" मनन ने पूछा “कौन सी मंजिल?" तीसरे आदमी ने कहाँ, “यह हमें कैसे मालूम होगा? मंजिल तुम्हारी है तुम्हे मालूम होगा।" मनन सोच में पड़ गया। मनन उनलोगों के बारें में जानना चाहा। 

लड़की ने कहा “हम यहाँ आने वालें लोगों के रखवाले है। यहाँ जो आता है हम उसको अपने मंजिल तक पहुँचने में मदद करते है। हमारे बिना उसका कोई अस्तित्य नहीं। अगर वह यहाँ जिंदा रहा तो अपने मंजिल तक पहुचेगा वरना।" मनन डर गया और पूछा “क्या यहाँ मैं मर सकता हूँ?” पहले आदमी ने कहा “हाँ।" मनन डर गया। लड़की ने कहा “डरों मत।  हिम्मत रखों। तुम डरोंगे तो हम कमजोर पड़ जायंगे। हमारी ताकत तुम हो और तुम्हारे रखवाले हम है।" मनन ने उनलोगों का नाम पूछा। पहले आदमी ने कहा “हमरा कोई नाम नहीं। तुम हमें किस नाम से पुकारों यह तुम्हारे ऊपर है।" मनन ने थोड़ा सोचा और उनलोगों का नाम रख दिया। पहले आदमी का नाम अग्नि, दुसरे का नाम वायु, लड़की का जल, चोथें का नाम आकाश और मनन के साथ गए हुए लड़की का नाम पृथ्वी। सभी ने मुस्कुराया। 

मनन ने “पूछा अब क्या करें?” अग्नि ने कहाँ “रुकना नहीं है बस चलते रहना है।" वायु ने कहा “चलों अब।" सभी एक दुसरे दरवाजे से कमरे के बाहर निकलने लगे।

कमरे के बाहर कई सारें लोग हाथों में हथियार ले के खड़े थे। वे लोग मनन को देख रहे थे। मनन बहुत डर गया। सभी लोग मनन को मारने के लिए आगे आने लगे। लेकिन बाकि पाँचों ने उनका रास्ता रोककर उनसे युद्ध करना शुरू कर दिया। एक भयंकर जंग हुआ। चारों तरफ खून के छीटे गिरने लगे। मनन काफी डर चूका था। तभी उसका नजर पृत्वी पर पड़ा वह कमजोर हो रही थी। मनन खुद को संभलने लगा। उसने अपने आपको होसला दिया और पृत्वी की मदद करने चला गया। अब मनन ने भी लड़ना शुरू कर दिया। मनन डरा हुआ था। उसके हाथ खून से लाल हो चुके थे। अंत में उनलोगों ने मिलकर सभी को मार दिया।

मनन को काफी चोट लग चूका था। मनन लेट गया। वे पाँचों भी थक चुके थे। तभी एक डॉक्टर एक कमरे से निकलके आई और मनन को कुछ दवाई खिलाकर वहां से चली गयी। मनन ने डॉक्टर से उन पाँचों का भी इलाज करने के लिए कहने लगा। लेकिनं वह डॉक्टर बिना कुछ बोले वहां से चली गयी। लेकिन तभी मनन ने देखा वे लोग अपने आप ही ठीक हो रहे थे। उनके घाव भी अपने आप भरने लगे थे। जल ने सभी को चलने को कहा। वे लोग एक सीढ़ी के सामने पहुंचे। अग्नि ने मनन को कहा “अब हमें कोई लिफ्ट नहीं मिलेगा।" सभी सीढ़ी के रास्ते ऊपर चढ़ने लगे।

वे लोग ऊपर के फ्लौर में पहुंचे। वहां एक guard खड़ा था। मनन को लगा शायद यही लास्ट फ्लौर है। मनन guard को पूछा “क्या यही लास्ट फ्लौर है?" Guard ने मनन को आगे के रास्ते से जाने का इशारा किया। वे लोग उस रास्ते जाने लगे। तभी पहले की तरह कुछ लोग प्रकट हो गए। वे लोग मनन को देख रहे थे। मनन और बाकि पाँचों आगे बढ़ते हुए एक होल में पहुंचे। होल में बहुत अँधेरा था। तभी उन्हें कुछ लोगों के चीखने की आवाजे सुनाई देने लगा। वे चीखे उनलोगों के नजदीक आ रहे थे। मनन को डर लगने लगा। अचानक बहुत सारे लोगों ने चारों तरफ से उनलोगों के ऊपर हमला कर दिया। वे लोग बहुत ही अच्छे लड़ाकू थे। लेकिन वे पांचों भी कम नहीं थी। मनन भी लड़ने लगा। लड़ते लड़ते मनन का साँस फूलने लगा। वह थकने लगा। मनन के ऊपर हमला होने लगा। तभी अग्नि और जल मनन को बचाने आए। 

जल ने मनन को होसला दिया। मनन बोलने लगा वह लगतार नहीं लड़ सकता। वह एक साधारण आदमी है। उसकी भी साधारण सीमाए है। अग्नि ने कहा “जला दो उन सीमायों को। तुमने वह सीमाए खुद बनाये है और उसमे खुद को कैद कर लिये हो।" जल ने कहा ने “नयी सीमाए बनाओं।" आकाश ने कहा “खुद को विस्तार करों।" पृत्वी ने कहा “खुद का वजूद बनायों।" वायु ने कहा “अपनी सीमायों को बढ़ाओ।" अग्नि ने फिर कहा “फिर उन सीमायों को जलाकर नयी सीमाए बनाओ। लेकिन रूको नहीं। अग्नि की तरह जलते रहों और दुनियाओं को रोशन करों।" जल ने कहा “पानी की तरह नम्र बनो।" आकाश ने कहा “आकाश की तरह विशाल बनो।" पृत्वी ने कहा “पृत्वी की तरह सुन्दर ह्रदय वाला बनो।" वायु ने कहा “वायु की तरह जीवन का कारण बनों।" यह सब सुनकर मनन अन्दर से मजबूत बनने लगा। 

तभी बहुत ही भयानक शक्तियों ने उनलोगों के ऊपर हमला कर दिया। वे सभी उन शक्तियों के साथ लड़ने लगे। मनन के अन्दर अब हिम्मत आ चूका था। उसके अन्दर और बाहर की शातियाँ बढ़ने लगा था। मनन और उन पाँचों ने सभी शक्तियों को हरा दिया। मनन और वे सभी थक चुके थे। तभी एक डॉक्टर आई और मनन को दवाई खिलाई। तभी मनन सो गया।

अचानक मनन ने अपना आखें खोला। मनन कमरे में अकेला था। उसने पाँचों को ढूंढा लेकिन वे पाँचों कहीं नजर नहीं आ रहे थे। मनन समझ नहीं पाया वे पाँचों कहाँ गए। मनन बहुत शांत और शक्तिशाली बन चूका था। वह कमरे से बाहर निकला। बाहर सीढ़ी था जो ऊपर की और और नीचे की और जाता था। उसके सामने एक अलग guard खड़ा था। उसने guard को उन पाँचों के बारें में पूछा लेकिन guard ने उसे कहा, “अपने सफ़र को जारी रखों।" मनन को गुस्सा आया, मनन ने फिर पूछा लेकिन guard ने उसे सफ़र को जारी रखने को कहा। मनन ने गुस्से में guard के ऊपर हमला किया लेकिन guard के ऊपर कोई असर नहीं हुआ। 

मनन मायूस हो गया। वह नीचे जाना चाहता था। तभी guard ने कहा “अपने सफ़र को जारी रोखों।" मनन ने guard को देखा। वह समझ गया guard उसे ऊपर की ओर जाने को कह रहा है। मनन ऊपर की ओर जाने लगा। मनन ऊपर के फ्लौर में पहुँच गया। वहां वही guard रुका हुआ था। उसने मनन को एक तलवार दिया और कहा “अपने सफ़र को जारी रखों।" मनन वह तलवार लेकर आगे बढ़ा। थोड़ी दूर जाने के बाद मनन के सामने दो आदमी उसे मारने आया। उनके हाथों में भयंकर हथियार थे। वे दोनों बहुत शक्तिशाली थे। वे नीचे के लोगों से भी ज्यादा शक्तिशाली थे। उन दोनों ने मनन के ऊपर हमला कर दिया। उनलोगों के बीच लड़ाई शुरू हो गया। उन दोनों ने मनन को फ्लौर को तोड़कर नीचे के फ्लौर में गिरा दिया। मनन फिर सीढ़ी से ऊपर चढ़ा। लेकिन वे दोनों ने मनन को फिर नीचे के फ्लौर में गिरा दिया। मनन फिर से ऊपर चढ़ा। लेकिन इस बार मनन ने उन दोनों को मार गिराया।

मनन समझ गया वह जितना आगे बढ़ता जायेगा उसके सामने और भी ज्यादा शक्तिशाली लोग आते रहेंगे। वे सभी या तो मनन को मार देगा या फिर नीचे के फ्लौर में धकेल देगा। लेकिन मनन ने फेसला कर लिया था चाहे कुछ भी हो जाएँ वह नहीं रुकेगा। वह आगे बढ़ता रहेगा। मनन आगे बढ़ता गया। हर मोड़ और हर कमरे में मनन का रास्ता रोकने के लिए शक्तिशाली लोग आते रहे। लेकिन उसने सभी को बड़ी मुस्किल से मौत के घात उतरा। मनन जब भी घायल होता तब एक डॉक्टर आकर मनन को दवाई खिला देता और मनन तुरंत ठीक हो जाता। अंत में वह एक सीढ़ी के पास पहुंचा जो ऊपर और नीचे की तरफ जाता था। वहां अभी एक अलग guard था। मनन अभी तक तो समझ गया की या तो मनन खुद फ्लौर के नीचे जा सकता है या फिर फ्लौर के लोग मनन को नीचे ले जायेगा। लेकिन फ्लौर के ऊपर मनन को खुद ही जाना होगा। यह guard फ्लौर को देखने के लिए रखा गया है। ताकि सभी चीजे अच्छे से हो। 

मनन उस guard को बिना कुछ पूछे ऊपर की ओर चला गया। ऊपर उसी guard ने मनन को एक अलग तलवार दिया और मनन से पुराना तलवार ले लिया। मनन ने उस फ्लौर के सभी शक्तिशाली लोगों को हरा दिया। एसे ही मनन कई फ्लौर में जाता रहा। हर फ्लौर में एक guard रहता जो मनन को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाता। हर फ्लौर में बहुत ही शक्तिशाली लोग आता जो मनन के साथ लड़ाई करता। मनन को विभिन्न तरीके से नीचे के फ्लौर में धकेल देता या जान से मारने की कोशिश करता। लड़ाई ख़त्म होने के बाद एक डॉक्टर आता और घायल मनन को दवाई खिलाता। दवाई खाकर मनन सीढ़ी के पास जाता जहाँ एक दूसरा guard रहता और वह ऊपर जाने लगता। ऊपर सीढ़ि वाला guard मनन से पुराना तारवाल लेकर नया तारवाल देता। एसे ही मनन कई फ्लौर चढ़ने लगा। 

अंत में मनन एक फ्लौर में पहुंचा। मनन ने guard को पुराना तलवार दिया guard ने उससे तलवार लिया और कहा, “मैं तुम्हे कोई हथियार नहीं दूंगा। यह तुम्हारा लड़ाई है।" मनन को कुछ समझ नहीं आया लेकिन वह आगे बढ़ने लगा। वह काफी आगे बढ़ चूका था लेकिन मनन को कही कोई नहीं दिखा। मनन समझ नहीं पाया यहाँ उसे किससे लड़ना है। वह guard के पास गया और पूछा यहाँ उसे क्या करना है? तब guard ने कहा “सफ़र जारी रखों जवाब खुद बा खुद मिल जायेगा।" 

मनन आगे बढ़ता गया। मनन ने फ्लौर में ध्यान दिया तब उसने देखा यह फ्लौर थोड़ा अलग है। यहाँ दीवारों में बहुत सारे आएने लगे हुए थे। उसे आएने में अपना सकल दिख रहा था। मनन ने सोचा यहाँ आएना लगा हुआ है शायद इन्ही आयेनों में कुछ है जो उसे खोजना है। वह आएने को देखते हुए आगे बढ़ने लगा। उन आयेनों में तो सिर्फ मनन अपने आपको ही देख रहा था। मनन आगे बढ़ता गया। तभी मनन ने ध्यान दिया की कुछ आएने साधारण आएने जैसा ही थे लेकिन कुछ आएने थोड़े अलग थे। अलग मतलब अगर मनन अपना right hand उठता तो आएने के अन्दर वाला मनन भी अपने right hand उठता। मनन उस आएने के नजदीक गया। मनन उस आएने में अपने आपको देखने लगा। उसने आएने को छूने के लिए अपने right hand को आगे किया। दूसरी तरफ के मनन ने भी अपना right hand आगे किया। मनन ने आएने को छुआ। दूसरी तरफ वाले मनन ने आएने को छूटे ही मुस्कुराया। 

मनन यह देख हैरान हो गया। अचानक दूसरी तरफ वाले मनन ने आएने को तोड़कर मनन के ऊपर हमला कर दिया। दोनों के बीच जंग शुरू हो गया। दूसरा मनन भी मनन जैसा ही ताकतवर था। दूसरा मनन, मनन को आएने के अन्दर घुसाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन मनन ने जैसे तैसे अपने आपको बचाया। मनन समझ गया की अगर दुसरे मनन को उसे हराना है तो उसे आएने के अन्दर धुसाना होगा। दोनों के बीच लड़ाए होने लगा। कोई कम नहीं था। कभी मनन उसपर भाड़ी पड़ता तो कभी वह भाड़ी पड़ता। मनन को समझ नहीं आ रहा था वह क्या करें? तभी मनन का नजर एक आएने में पड़ा। उसमे मनन ने देखा उसके अन्दर वह पाँचों थे। मनन समझ गया वे पाँचों कही खो नहीं गए थे वे तो मनन क अन्दर ही थे। लेकिन दुसरे मनन के अन्दर वे पाँचों नहीं थे। मनन को याद आ गया उन पाँचों की बातें। अग्नि की तरह जलते रहों और दुनियाओं को रोशन करों, पानी की तरह नम्र बनो, आकाश की तरह विशाल बनो, पृत्वी की तरह सुन्दर ह्रदय वाला बनो, वायु की तरह जीने का कारण बनों। यह सब सुनकर मनन अन्दर से मजबूत बनने लगा, वह साधारण से असाधारण बन लगा। वह दुसरे मनन के ऊपर काबू पाने लगा और अंत में एक आएने में उसे धकेल दिया। उसके आएने के अन्दर जाते ही वहां से एक सीढ़ी का निर्माण हुआ लेकिन अब वहां कोई guard नहीं था। वह सीढ़ी चढ़ते हुए ऊपर गया। 

ऊपर एक कमरा था। उसने कमरे को खोला। उस कमरे के बीचों बीच एक विशाल रौशनी था। उस रौशनी ने कमरे को रोशन कर रखा था। मनन उस रौशनी के सामने गया। मनन को एक अलग एहसास हुए जिससे बयान नहीं किया जा सकता। मनन के शारीर में सातों इन्द्रियां जागृत होने लगा। मनन उस रौशनी में सामाने लगा। 

एक नया सवेरा हुआ। सूरज ने अपनी रौशनी धरती पर डाला। मुरझाई हुयी चीजे खिल उठी। मुस्कराहट रौशनी के जरिये अपने आपको प्रकट करनी लगी। चिड़ियों ने अपनी आवाजों के जरिये दुनिया को सवेरा होने संदेसा दिया। यह संदेसा मनन के कानो पर पड़ा और उसने अपने आखें खोला।


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