कहानी | देव | अध्याय 1 | एक अनोखा कमरा | दरवानी कहानी
कहानी | देव | अध्याय 1 | एक अनोखा कमरा | दरवानी कहानी |
इस घटना के कई साल बाद
सुबह के 5 बजे का
alarm
बजते
ही देव का आखें खुला और वह martial arts सिखाने अपने class में गया। उसके बाद नहाकर
पूजा-पाठ करके वह अपने माँ के बनाये हुए खाना को खाकर office की और निकल पड़ता है।
देव अपने माँ के साथ रहता था। देव बहुत ही सरीफ लड़का था। रोज पूजा-पाठ करता था।
शिवजी का ध्यान करता था। मुह में शिवजी का नाम रहता था। गलें में रुद्राक्ष का
माला था। पढ़ाई ख़तम करने के बाद उसने martial arts सिखाना शुरू कर दिया, लेकिन इससे
उसका गुजारा नहीं हो पा रहा था। इसलिए एक company में नौकरी करने लगा। उसे DT engineering नामक एक कंस्ट्रक्शन
के company में supervisor का
नौकरी मिल गया था। आज उसी के सिलसिले में वह बन्हीपुर गाँव में जाने वाला था।
बन्हीपुर एक छोटा
सा गाँव है। वहां कई साल पहले एक कंस्ट्रक्शन company ने बड़ा कंस्ट्रक्शन का काम
शुरू किया था लेकिन अचानक वह कम बंद हो गया। आज कंस्ट्रक्शन side को देखने के लिए
एक engineer के साथ देव भी जाने वाला था। लेकिन तवियत ख़राब होने के कारण वह engineer
उस दिन जा नहीं पाया। इसलिए वह engineer दो दिन बाद जाने वाला था। जिस कारण देव को
अकेले ही जाकर उस जगह के बारें में इनफार्मेशन प्रदान करना था। देव का रहने का
व्यवस्था भी उसी गाँव के एक घर में कर दिया था। देव अपना सामान पैक करके गांव की
तरफ निकल गया।
गाँव में पहुँच
कर देव company द्वारा दिए गए घर में रहने चला गया। घर पहुँचने के बाद घर के मालिक
ने देव को उसका कमरा दिखाया। कमरा ठीक ठाक ही था। देव ने उस आदमी से कंस्ट्रक्शन
side का रास्ता पूछा। कंस्ट्रक्शन side के बारें में सुनते ही वह आदमी थोड़ा डर गया।
यह देख देव ने उसे उसके डरने का कारण पूछा। तब उस आदमी ने कहा की उस जगह में एक
भूत का साया है। जो भी रात को उस जगह पर जाता वह कभी लौट कर न आता। यह सुनकर देव
मुस्कुराया जैसे की वह आदमी मजाक कर रहा हों और उसे डराकर भगाने की कोशिश कर रहा
है। दरअसल उस जगह में कंस्ट्रक्शन का काम ओर एक company करने का कोशिश कर रहा था।
लेकिन कॉन्ट्रैक्ट न मिलने के कारण बहुत गुस्से में था। देव को लगा वह company इस
आदमी के जरिये उसे डराकर भगाना चाहता है। इसलिए देव उस आदमी के बातों पर ध्यान न
देकर उसके बताये हुए रास्तें से जाने लगा। जाने से पहले उस आदमी ने देव को रात
होने से पहले वापिस आने को कहा।
कुछ देर बाद देव
कंस्ट्रक्शन side में पहुँच गया और वह फ़ोन में अपने engineer को side के बारे में
बताने लगा। देव उस side को अच्छे से देख रहा था। Side काफी बड़ा था। वहां रहने के
लिए कई घर भी बने थे। वहां सभी घर तो बहुत ही गंदा था लेकिन एक घर काफी साफ-सूत्रा
था। यह देख देव बहुत हैरान हुआ। उसे लगा शायद यहाँ कोई रहता होगा नहीं तो गांव
के लड़के यहाँ आ कर शराब पिटे होंगे। इसलिए उस आदमी ने उसे रात होने से पहले यहाँ
से जाने के लिए कहा। यह सोचकर वह उस घर के अन्दर चला गया।
उस घर में एक
कमरा और साथ में kitchen और बाथरूम भी था। वह समझ गया शायद यह पहले के कंस्ट्रक्शन
company के किसी ऑफिसर का कमरा होगा और यहाँ के शराबी लड़कों ने इस कमरे को साफ–सूत्रा
कर के रखा होगा। ताकि मजे से दारू पी सके। वह बाथरूम से आकार उस कमरे में रखे
चीजों को देखने लगा। कमरे में काफी सामान भी रखा हुआ था। वह हर चीजों को देखने लगा
इतने में शाम भी हो चूका था। देव ने बाहर निकलने के बारें में सोचा लेकिन सूरज
ढलते ही उसे खिड़की के बाहर थोड़ी दूर में कुछ लोग दिखाई देने लगा। उसने सोचा यहाँ
के लोग शायद शाम होते ही पीना शुरू कर देते है। यह सोचकर वह दरवाजा खोलने गया।
लेकिन दरवाजा नहीं खुला। उसने काफी जोर लगाया लेकिन दरवाजा नहीं खुला।
उसने सोचा बाहर
उन लोगों ने ही दरवाजे को बाहर से lock कर दिया होगा। वह खिड़की से उन लोगों को
दरवाजा खोलने के लिए कहने लगा लेकिन वह लोग मूर्ति की तरह बस खड़े होकर उसे देख रहे
थे। देव खिड़की से भी नहीं जा सकता था क्यूंकि वहां ग्रिल लगा हुआ था। देव उन लोगों
को बहुत समझा रहा था लेकिन वह लोग तो बस मूर्ति की तरह उसे देख रहे थे। देव ने
सोचा शायद उन लोगों ने कोई drugs खाया होगा। इसलिए देव खुद ही दरवाजा तोड़ने का
प्रयास करने लगा लेकिन दरवाजा टूट ही नहीं रहा था। उसे बहुत अजीब लगा। इतने लात
मारने पर भी दरवाजे में कोई असर नहीं हो रहा था। वह कुर्सी में बैठ गया। वह सोचने
लगा अब किया क्या जाएँ? तभी उसने सोचा क्यूना खिड़की के ग्रिल को तोड़ने का प्रयास
किया जाएँ।
वह ग्रिल के पास
गया और उसे तोड़ने का प्रयास करने लगा। वह जैसे-तैसे घर में मजूद चीजों से ग्रिल के
एक हिस्से को तोड़ने में सक्षम हुआ और वह खिड़की से बाहर निकलने लगा लेकिन जैसे ही
उसने बाहर कदम रखा वह फिर से घर के अन्दर पहुँच गया हैं। मानो वह बाहर से अन्दर
आया हो और घर के बाहर वह लोग अभी भी दूर से मूर्ति की तरह खड़े होकर देव को देख रहे
थे। अब देव का दिमाग ठनका। उसे एहसास होने लगा यहाँ जरुर कुछ गड़बड़ है। जैसे ही
उसे इस चीज का एहसास हुआ वैसे ही उसके सामने से वह लोग गायब होने लगे। देव को यह
सब बहुत ही अजीब सा लगने लगा। उसे थोड़ा थोड़ा डर लगने लगा। उसका जी घबराने लगा।
जब भी देव को डर लगता था या मन अशांत होता था तब वह हमेशा मन में “ॐ नमः शिवाय का” उच्चारण करता था।
ताकि मन को संयम कर सके। यह उसका आदत था।
वह शांत होकर
अपने ऊपर नियंत्रण करने का कोशिश कर रहा था और जैसे ही उसने अपने आखें बंद करके
ध्यान लगाने का कोशिश किया तभी एक बहुत ही डरावना चीज देव को मारने के लिए नजदीक
आया। देव ने तुरंत अपनी आखें खोल दिया लेकिन वहां कोई नहीं था। अब देव को डर लगने
लगा। उसे यह सपने जैसा लगा लेकिन देव समझ गया यह सपना नहीं हकीकत है। उसने तभी
अपना मोबाइल निकला और अपने बॉस को फ़ोन करने लगा। लेकिन कई बार फ़ोन करने के बाद भी
बॉस ने उसका फ़ोन नहीं उठाया। लेकिन उसे हैरानी तो तब हुई जब उसके द्वारा फ़ोन किये
गए किसी आदमी ने भी उसका फ़ोन नहीं उठाया। उसने मोबाइल को देखा लेकिन मोबाइल switch
off था। वह कुछ समझ नहीं पा रहा था। वह खिड़की के बाहर देखने लगा शायद उसे कोई मदद
मिल जाएँ। लेकिन कहीं कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रहा था। जैसे ही उसने पीछे मुड़ा तभी
उसे पीछे से आवाज सुनाई दी।
उसने पीछे मुड़कर
देखा और चोक गया क्यूंकि की अब कंस्ट्रक्शन side के जगह एक कमरा दिख रहा था। मानों
देव का कमरा और वह कमरा एक साथ हो और वह कमरा बिलकुल देव के कमरे जैसा ही था। यह
देखकर देव हैरान हुआ। तभी उस कमरे के kitchen से एक आदमी खून से लथपथ भागते
हुए खिड़की के पास आया। वह आदमी देव को नहीं देख पा रहा था लेकिन देव उसे अच्छी तरह
से देख पा रहा था। उस आदमी ने खिड़की का glass तोड़ा और उस glass से खुद का ही गला काट
दिया। यह देख देव बहुत ज्यादा डर गया था। अब उसके मन में डर हावी होने लगा था। देव
जैसे-तैसे बाहर निकलने का रास्ता खोजने लगा। लेकिन उसका हर कोशिश नाकाम हो रहा था।
तभी उसे kitchen से आवाज सुनाई देने लगा।
उसने वहां जाकर
देखा एक मजदूर आदमी kitchen में रखें सिलेंडर के पाइप को निकालकर उसमे आग लगाने का
कोशिश कर रहा था। यह देखकर देव उस आदमी को रोकने के लिए चला गया। उन दोनों के बीच हाथापाई
होने लगा। लेकिन देव को martial arts आता था। देव ने उस आदमी को अच्छे से धोया। उस
आदमी का नाक फुट गया और कुछ खून के धब्बे देव के शारीर पर गिर गया। उस आदमी के ऊपर
देव ने काबू पा लिया और उसके बारें में जानना चाहा लेकिन तभी उस आदमी ने देव को
धक्का देकर दरवाजा खोलकर बाहर निकल गया। देव भी उसके पीछे जाने लगा लेकिन जैसे ही
देव दरवाजे के बाहर गया वह फिर से उसी कमरे में पहुँच गया।
देव को कुछ समझ
नहीं आ रहा था। तभी देव का मोबाइल बजने लगा, देव चोक गया। उस मोबाइल से एक आवाज
आया “वेलकम”। और फ़ोन switch off हो गया। देव को लगा शायद उसके साथ कोई खेल खेल रहा
है। लेकिन कौन खेल खेल सकता है। या फिर सही में इस कमरे में एक अजीब सी शक्ति है,
एक भूत का साया है। देव यह सोच ही रहा था तभी पीछे का दीवार उसके सामने आने लगा।
देव उस दीवार को रोकने का कोशिश कर रहा था। उसके मुह से ॐ नमः शिवाय निकल रहा था।
लेकिन वह दीवार बढ़ते ही जा रहा था। देव पूरी कोशिश कर रहा था। लेकिन वह दीवार देव
की तरफ बढ़ते ही जा रहा था। देव दीवार के बीच कुचलने ही वाला था लेकिन तभी देव हार
न मानकर अपनी पूरी ताकत से उस दीवार को धक्का दिया और वह दीवार पहले के जगह पर आ
गया। कमरे में सारा सामान भी अपने जगह पर आ गया मानों जैसे वहां कुछ हुआ ही न हों।
देव पूरी तरीके
से थक गया था। देव को अब पूरी तरीके से यकीन हो चूका था की इस कमरे में कोई अजीब सी
शक्ति मजूद है। देव को डर तो लग रहा था। लेकिन यह जानकर वह खुश भी था क्यूंकि अगर
बुरी शक्तियां है तो अच्छी शक्तियां भी होगी। देव ने कभी किसी का बुरा नहीं किया
और वह हमेशा पूजा-पाठ किया करता था। इसलिए भगवान उसका कुछ होने नहीं देगा। तभी
बाथरूम से आवाजे आने लगी। एक लड़की उसे मदद के लिए पुकार रही थी। वह बाथरूम के पास
गया लेकिन वह दरवाजा खोल ही नहीं पा रहा था। उसे अन्दर से चीखने की आवाजे सुनाई
देने लगा। वह लड़की अपने भगवान को पुकार रही थी, उस बाथरूम से पीटने की आवाजे आ रही
थी, मानों कोई उस लड़की को जान से मार रहा हो और अचानक एक भयानक चीख के साथ वह आवाज
बंद हो गयी।
देव धीरे धीरे
पीछे की और आने लगा उसका नजर खिड़की पर पड़ा। उसने खिड़की में एक औरत को देखा जो मदद
के लिए चिल्ला रही थी। देव धीरे धीरे खिड़की के सामने आया। उस औरत के शारीर से खून
निकल रहा था। उसके गले में देव की तरह ही रुद्राक्ष का माला था। वह औरत जिस कमरे
में थी वह बिल्कुल देव के कमरे जैसा ही था। थोड़ी देर बाद उस औरत के सामने वही आदमी
आया जिसने glass से अपना गला काट लिया था। उसके गले में भी रुद्राक्ष का माला था। वह
आदमी बहुत गुस्से में था। वह औरत बार बार उस आदमी के सामने हाथ जोड़ रही थी। अपने भगवान
को मदद के लिए पुकार रही थी; लेकिन वह आदमी तो बिलकुल पागल हो चूका था और उस औरत को
पागलों की तरह पिट ही रहा था और अंत में पिट पिट कर बाथरूम में ले जाकर उस औरत को
मार दिया और खुद भी मर गया।
वह दोनों
पति-पत्नी थे। देव को लगा शायद उन दोनों का आत्मा इस कमरे में भटक रहा है। लेकिन
देव को एक चीज अजीब सा लगा क्यूंकि देव ने just सोचा ही था की उसका भगवान उसे कुछ
नहीं होने देगा लेकिन तभी यह घटना उसे दिखाई दिया। देव का विश्वास कम होने लगा।
तभी देव का नजर एक आईने पर पड़ा, जहाँ एक मजदूर फासी में लटक रहा था। उसके गले में
भी रुद्राक्ष का माला था। लेकिन उस जगह तो कोई नहीं था। देव को चारों तरफ से चीखने
चिल्लाने का आवाज आने लगा। वह अपने कानों को दोनों हाथों से बंद करने लगा। वह नीचे
लेट गया।
देव
मानसिक रूप से कमजोर हो रहा था। देव उन आवाजों को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। सभी
लोग देव को मदद के लिए पुकार रहे थे। देव शिव का नाम लेते हुए अपने आपको संयम करने
लगा और धीरे धीरे वह शांत होने लगा।
आवाजे भी धीरे
धीरे गायब होने लगा। देव थक चूका था। उसकी आखें बंद होने ही वाला था तभी पहले की
तरह एक अजीब सी शक्ति उसे मारने के लिए आने लगा। देव ने तुरंत आखें खोल दिया। वह
समझ गया की उसकी आखें बंद करते ही कोई उसे मारने के लिए दौड़ा चला आता है। देव एक
कुर्सी में बैठ गया। धीरे धीरे वह सब चीजों पर ध्यान देने लगा। थोड़ी देर पहले कमरा
गन्दा हो चूका था लेकिन अभी अचानक कमरा बहुत ही साफ-सूत्रा हो गया। जैसे की वहां
कुछ हुआ ही न हो। नीचे भी जूते के ज्यादा निशान नहीं थे। मानों वह वहा ज्यादा चला
ही न हों। उसके शारीर में खून का कोई दाग नहीं था। मानों उस आदमी से देव का कोई
हाथापाई हुआ ही न हो। देव को यह बहुत ही अजीब सा लगा।
खिड़की के बाहर
बहुत अँधेरा था। वह अभी शांत था। उसे सब चीजे normal लगने लगा। वह एक एक घटना पर
ध्यान देने लगा। तभी उसने ध्यान दिया की जिस पहले आदमी ने अपना गला कटा था तब उसके
गले में रुद्राक्ष का माला नहीं था लेकिन दूसरी वार उसके गले में रुद्राक्ष का
माला था। यानि कोई देव को अपने भगवान से विश्वास तोड़ने की कोशिश कर रहा था। लेकिन
क्यूँ? अगर कोई शक्ति है तो वह तो देव को आसानी से मार सकता है। तो इतना सब नाटक करने
का क्या जरुरत है? आसानी से देव को मार दे। तभी देव को ध्यान आया की शायद यह शक्ति
किसी को मार नहीं सकती, बल्कि उसे खुद को या दुसरे को मारने पर मजबूर कर सकती है।
जैसे पति ने अपनी पत्नी को मारा फिर खुद को ही मार दिया। उस आदमी ने गैस की पाइप
खोलकर अपनी जान लेनी चाही। उस मजदूर ने फासी लगा ली। उसके गले में भी रुद्राक्ष का
माला था। लेकिन उस मजदूर के कपड़े से लगता था की वह दुसरे धर्म का था। यानि
रुद्राक्ष का माला एक भ्रम है। “भ्रम” यह शब्द देव के मन में आते ही देव को बहुत
कुछ समझ में आने लग गया।
यह सभी घटना देव
की मन की कल्पना थी। वह पति इस कंस्ट्रक्शन side का मेनेजर था। जो एक दिन अपनी
पत्नी को यहाँ लाया था। लेकिन दोनों यहाँ मारें गएँ थे। इसके बारें में देव को फ़ोन
में उस engineer ने बताया था। सिलेंडर में आग लगाने वाले आदमी के बारें में घर के
मालिक ने बताया था। उस मजदूर के बारें में गाँव के एक आदमी ने बताया था और खिड़की
के बाहर के आदमी वह नशा करने वाले आदमी थे जिसके बारें में देव उस समय सोच रहा था।
और इस कमरे में देव का किसीके साथ जग्राह हुआ ही नहीं। यह तो एक भ्रम है। लेकिन
जैसे की देव का आदत था की ॐ नमः शिवाय कहते कहते देव का मन एकाग्रित होने लगता था।
इसी कारण वह इस भ्रम से निकल पा रहा था। इस कमरे में लोगों को भ्रमित करने वाली शक्तियां
है जिसके प्रभाव में आते ही लोग खुद की जान ले लेने पर मजबूर हो जातें है।
इस कमरे में कई
लोग मारें गए है। जिसके कारण इस कमरे की नकारात्मक शक्तियां बहुत ही प्रवाल हो
चुकी है। तभी कमरे से तालियों की आवाज गूजने लगी। उस कमरे से आवाज आने लगा, “वेलकम
तो Next level।“ देव भी जोश में कह उठा "मैं भी तैयार हूँ। एक दिन तो मरना ही है
देखते है आज मरते है या दुसरे दिन।" तभी देव ने दाहिने तरफ देखा तो उसे अपनी माँ
दिखाई देने लगा जो विस्तार में सोयी हुई थी। देव मुस्कुराकर कह उठा “यह तो भ्रम है।“
चारों तरफ हसीं गुजने लगा। तभी एक कुर्सी देव के नजदीक आ कर कहने लगा, “यहाँ भ्रम
है लेकिन क्या हो जहाँ तुम्हारी माँ है उहाँ भी हम हो। और एक चोर हाथ में खंजर
लेकर तुम्हारें माँ के नजदीक आ रहा हो।“ देव को डर लगने लगा, और उसी समय उसे
दरवाजा खोलने का आवाज सुनाई देने लगा।
उहाँ से एक आदमी हाथ
में खंजर लिए देव की माँ की तरफ आ रहा था। देव उस आदमी को रोकने के लिए आगे बढ़ा
लेकिन देव तो उस आदमी के आर-पार हो गया था। देव समझ गया यह दृश्य देव के घर का है।
अब emotions
देव
के मन में हावी हो रहा था और emotions को कुछ समझ नहीं आता। वह नदी के साथ बहता जाता है जब तक की
उसे नियंत्रित न किया जाएँ। जो की बहुत ही मुस्किल है। देव चिल्लाने लगा "मेरे माँ को
कुछ मत होने दो।" तभी आईने ने देव को अपने पास बुलाई और उसने देखा की देव खुद को
फासी लगा रहा था। देव समझ गया अगर उसे अपने माँ को बचाना है तो उसे अपने आपको फासी
लगाना होगा। वह रस्सी धुनने लगा। रस्सी को पंखे में लगाया लेकिन जैसे की उसका आदत
था वह मन में ॐ नमः शिवाय जप कर रहा था। जप करते करते उसका मन धीरे धीरे एकाग्रित
होने लगा।
अचानक देव का नजर
माँ के ऊपर पड़ा। उसकी माँ कंबल ओढ़ राखी थी लेकिन जो कंबल ओढ़ राखी थी वह तो देव के
घर का था ही नहीं। वह कंबल तो देव जिस धर में रहने आया था, उसी घर का था। उसने उस चोर
के ऊपर ध्यान दिया तो उसने देखा की वह चोर तो एक मजदूर है, जो एक जगह मूर्ति की
तरह खड़ा था। देव समझ गया यह एक चाल है ताकि देव आत्महत्या कर ले। देव धीरे धीरे इस
कमरे को और अच्छे से जानने लगा। देव जब भी अपने मन से नियंत्रण खो देता था तभी इस
घर की नकारात्मक ताकतें देव के मन को वश में करने लगती थी। इसलिए देव को अपने मन
पर नियंत्रण करना बहुत जरुरी था। मन के ऊपर नियंत्रण करना इतना आसन नही और कई
लोगों के मौत के कारण कमरे की नकारात्मक ताकतें भी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। तब देव
को ध्यान आया वह जब भी ॐ नमः शिवाय का नाम लेता था तब उसका मन संयम होने लगता था। मन ही मन ॐ नमः
शिवाय कहते रहना देव का आदत था। कई सालों से ॐ नमः शिवाय कहते कहते देव का मन अब
एसा हो चूका था जैसे की ॐ नमः शिवाय कहते ही उसे अपने सोच के ऊपर नियंत्रण होने
लगता था। और वह हर एक काम को अच्छे से कर पता था।
देव ॐ नमः शिवाय
मंत्र का ध्यान करने का फेसला करता है। लेकिन जैसे ही देव अपनी आखें बंद करता तभी
एक भयानक शक्ति देव को मारने के लिए दौड़ा कर चला आता। देव अब तक तो यह समझ गया था
की इस कमरे में अगर कोई उसका अनिष्ट कर सकता है तो वह खुद देव ही है। इसलिए वह उस
डर पर काबू कर के ॐ नमः शिवाय का जाप करने लगा। देव के मन में अजीब अजीब से ख्याल
आने लगे थे। बहुत सारें चीखें सुनाई देने लगें थे। लेकिन देव एक दम शांत मन से
धीरे धीरे ॐ नमः शिवाय का नाम जपने लगा। ॐ नमः शिवाय के नाम से देव को शांति मिलती
थी। वह उस नाम में खोने लगा। कई बार देव का ध्यान भटका लेकिन देव ने उसे काबू करके
ॐ नमः शिवाय का ध्यान करने लगा।
रात काफी हो चुकी
थी देव को नींद का भाव होने लगा लेकिन देव जनता था अभी वह सो नहीं सकता क्योंकि वह
सोने से ही इस कमरे की नकारात्मक ताकतें उसके अन्दर जाकर उसे भ्रमित कर सकता था।
लेकिन उसे उस कमरे की नकारात्मक ताकतों को अपने अन्दर ख़त्म करना था। वह नकारात्मक
ताकतों को अपने अन्दर जाने से रोक तो नहीं सकता था क्यूंकि वह हवा में फेला हुआ था।
देव जब भी साँस लेता तब साथ में नकारात्मक ताकतें भी उसके अन्दर चला जाता। लेकिन देव
अपने अन्दर उन ताकतों ख़त्म कर सकता था। उस कमरे के हर जगह, हर कोने में ही
नकारात्मकता फेल चूका था। देव के ध्यान से उस कमरे में सकारात्मकता फेलने लगा। देव
के मुह से कोई आवाज नहीं निकल रहा था। शिव का नाम तो देव मन ही मन जप कर रहा था
लेकिन उसके अन्दर से जो ऊर्जा निकला उस ऊर्जा ने कमरे को सकारात्मकता से भरने लगा।
नकारात्मक ऊर्जा और सकारात्मक ऊर्जा के बीच जंग होने लगा और इस जंग का नतीजा
निर्भर करने वाला था देव के ऊपर। देव के विश्वास के ऊपर, देव के अच्छाई के ऊपर।
देव शांत होकर
जाप कर रहा था। धीरे धीरे देव के मन में यह सोच आ रहा था की उसे और मेहनत करना
होगा, उससे और ताकत लगाना होगा उससे जल्दी कुछ करना होगा। इन सब बातों से देव
बेचैन होने लगा, वह हर्बराने लगा। उसके मन में अशांति आने लगा, उससे गुस्सा आने
लगा। तब वह समझ गया की यह सब उसके मन को बहकाने के लिए हो रहा है। इसलिए देव अपने
मन को शांत रखकर सिर्फ जाप में ध्यान देने लगा। वह अपने अंदर की सारी बुराइयों पर
काबू करने लगा। वह अपने अन्दर का गुस्सा, हिंसा, अहंकार, मोह को काबू करने लगा। एक
समय बाद वह उस स्थिति में पहुँच गया जहाँ पर उसे न गुस्सा था न अहंकार, न मोह था न
माया, उसे उस घर के बुरी शक्तियों के प्रति भी कोई हिंसा न था। वह बस शांति चाहता
था। इसी सोच ने देव के ऊर्जा को और ज्यादा प्रवाल कर दिया। उस ऊर्जा ने कमरे के
सारें नकारात्मकता को ख़त्म कर दिया। एक बहुत बड़ा धमाका हुआ जैसे की दो विशाल चीजें
आपस में टकराने से होता है, तभी देव ने धीरे से अपना आखें खोला।
वह बहुत शांत हो
चूका था। बाहर उजाला हो चूका था। देव ने दरवाजा खोला तो उसने एक अजीब सी भयानक
शक्ति को बाहर जातें हुयें देखा। लेकिन अब देव के मन में कोई डर नहीं था। वह शांत
था। उस शक्ति को देख देव समझ गया की यही शायद इस कमरे की नकारात्मक ताकत थी जिसने
इस कमरे से और इस जगह से अपना नियंत्रण खो दिया। थोड़ी दूर जाकर वह भयानक शक्ति
रुका और पीछे मुड़कर देव को देखा लेकिन देव के मन में कोई डर न था। उस भयानक शक्ति
ने देव को देखकर मानों यह पूछना चाह रहा हो जैसे की क्या देव उसे देख पा रहा है।
यह जानते ही की देव उसे देख पा रहा था वह शक्ति मुस्कुराकर वहां से चला गया। देव
कुछ समझ नहीं पाया। तभी उसे अपने सामने और एक महाशक्ति का एहसास हुआ। लेकिन इस
शक्ति को देव देख नहीं पा रहा था। यह ऊर्जा इतनी प्रबल थी की देव सिर्फ उसका थोड़ा
सा एहसास कर सकता था लेकिन उसे देख नहीं पा रहा था। देव समझ नहीं पाया यह ऊर्जा
कौन सी है।
इसे YouTube में सुनने के लिए नीचे के link पर click करें
0 Comments